सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
बना दिल आइना मेरा समन अपने सदा देखूँ/1
किसी की आँख का आँसू कभी मैं बन नहीं सकता
चमक हर आँख में हो पर विज़न इतने सदा देखूँ/2
आर.एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- टशन- ढंग/रीति, समन- महत्व, विज़न- स्वप्न