सज़दे बहुत किये या-रब दुआएं बहुत की
सज़दे बहुत किये या-रब दुआएं बहुत की
मैने दिल-ए-बीमार की दवाएं बहुत की
छाया इधर कभी ना टूट तू बरसा यहां
उम्मीदों की इस दिल ने घटाएं बहुत की
गुबार ही गुबार अब हो गया है हर तरफ़
मोटर-गाड़ी ने ख़राब हवाएं बहुत की
बहरा होके क्यूँ बैठा रहा तू ख़ुदाया
मां ने तो मेरे हक़ में दुआएं बहुत की
रस्ते खो गए शायद और जाने कहाँ तुम
तड़पते दिल ने रोकर सदाएं बहुत की
निकली उदासियां दिल से नहीं ‘सरु’ अगरचे
पंडितजी ने हवन और कथाएं बहुत की
सीखा भी सब कुछ मैने सहारे से इनके
माना कि उम्र भर मैने खताएं बहुत की
—सुरेश सांगवान’सरु’