सजना
आता नही है उसको सजना।
लेकिन भाता उसको सजना।।
मैं तो कहता हूँ तू सज ना ।
सजना ही तो तेरा सजना।।
कहती सजना के हित सजना।
तन-मन से है मुझको सजना।।
बोलो मित्रो प्यारे सजना।।
सुंदरता को भी क्या सजना।।
क्या-क्या भाव सहेजे सजना।
बतलाओ भी कैसे सजना।।
कुछ कमेंट्स भी करके ‘कौशल’;
कहिए कैसी कविता सजना।।
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कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’
सतना (म॰प्र॰), हाल मु॰ टीकमगढ़
मो.नं. 9399462514