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21 Apr 2022 · 1 min read

सच समझ बैठी दिल्लगी को यहाँ।

गौर से देख हर गली को यहां
सबसे कुछ बैर है सभी को यहां

हर क़दम इक नए अंधेरे से
लड़ना पड़ता है रौशनी को यहां

सिर्फ कांटे हुए किसी का नसीब
और गुलशन मिला किसी को यहां

हर घड़ी मौत मौत करके सब
रौंद देते हैं ज़िंदगी को यहां

अपनी आवाज़ में ही गुम हैं सभी
कौन सुनता है ख़ामोशी को यहां

दिल में कुछ है ज़ुबान पर कुछ है
कैसे पहचानें आदमी को यहां

भूल कुछ हो गई अनन्या से
सच समझ बैठी दिल्लगी को यहां।।

©अनन्या राय पराशर

6 Likes · 3 Comments · 956 Views
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