भ्रम और शक ( संदेह ) में वही अंतर है जो अंतर धुएं और बादल मे
समाजों से सियासत तक पहुंची "नाता परम्परा।" आज इसके, कल उसके
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
मेरी काली रातो का जरा नाश तो होने दो
रब तेरा आदमी बड़ा झूठा है
उम्र जो काट रहे हैं तेरी यादों के सहारे,
अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
जब में थक जाता और थककर रुक जाना चाहता , तो मुझे उत्सुकता होत
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।