आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
*जाने क्या-क्या सोचकर, ससुराल जाती बेटियाँ(गीतिका)*
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सबने सलाह दी यही मुॅंह बंद रखो तुम।
बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
"वह मृदुल स्वप्न"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD