सच तो यह है- केले का पेड़ नहीं होता, यह एक जड़ी-बूटी है
समस्त सम्माननीय पाठकों को इस मंच पर अपना प्रणाम प्रस्तुत करते हुए आप सभी को एक और महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराने हेतु फिर हाजिर हूं इस लेख के माध्यम से, मुझे आशा है यह लेख आपके लिए अवश्य ही लाभदायक साबित होगा, कृपया अवश्य ही पढ़िएगा एवं अपने विचार व्यक्त किजिएगा ।
साधारणतः आम धारणा बनी हुई है कि केला पेड़ पर लगता है । सभी लोग इसे सच भी इसलिए मानते हैं, कर्मों कि केले का तना काफी लम्बा विचार सामान्य रूप से मजबूत होता है, इस कारण अक्सर वृक्ष समझ लिया जाता है । सच तो यह है कि केले का पेड़ नहीं होता, केला दुनिया की सबसे बड़ी जड़ी-बूटी पर लगता है ।
एक्सीलेंस विश्वविद्यालय, भोपाल में बॉटनी विषय के प्रोफेसर, डॉक्टर प्रमोद पाटिल के कथन के अनुसार असली में केले में लकड़ी नहीं होती, बल्कि यह एक विशाल शाक है, जो भूमिगत तने से उगता है और पत्तियों से ही लिपटा होता है । या यूं समझ लीजिए कि यह लिपटी हुई पत्तियों का एक बंडल है, जिसमें उतकों (टिश्यू) की कोशिश कई परतें होती है । इसकी पत्तियां एक-दूसरे पर इस तरह से लिपटी होती हैं कि यह एक मजबूत तना दिखने लगता है ।
इसके पत्तों के बीच में छोटी पत्तियों से लिपटी एक बड़ी कली निकलती है । फिर छोटे फूलों के गुच्छे निकलते हैं, जिनसे फल बनता है ।
वनस्पति विज्ञान के अनुसार यह मूसा जाति का घासदार पौधा है । यह एक बड़ी घास है । फल के लिए इसकी खेती की जाती है । इसका हर हिस्सा उपयोगी होता है ।
दक्षिण भारत में इसकी पत्तियों पर ही खाना परोसा जाता है, इसके फल और फूल खाने के काम आते हैं और इसकी सूखी सामग्री से हैंडीक्राफ्ट बनाया जाता है । रेशों के उत्पादन तथा सजावटी पौधे के लिए भी इसे उगाया जाता है । इसकी कुछ प्रजातियों की ऊंचाई २-८ मीटर और पत्तियों की लंबाई ३-५ मीटर तक हो सकती है ।
हम सभी को केवल केला चाहे कच्चा हो पका, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है, यही जानकारी ज्ञात थी । मेरे बच्चे भी बचपन से केला बहुत ही चाव से खाते हैं और खाना भी चाहिए । उपर्युक्त जानकारी के अनुसार आप यह अंदाजा लगा सकतेहैं कि हमारे देश के किसान केले की उपज के लिए कितनी मेहनत करतें हैं और केले के सभी तत्त्व अपितु खाने मात्र ही फायदेमंद साबित ना होकर बाकी खाने के अलावा अन्य रूपों में भी बेहद उपयोगी है ।
धन्यवाद आपका ।