सच तो काले मेघ
स्वपन आपन हाथे
इ या उस पार
मिले तो प्यारा लगे
कांटा बन ऑंख चुभे
तरसत पूर्ण संसार ।
सच तो काले मेघ
कभौ भड़कत कभौ बरसत
प्रीत भी लागे
मन तड़पत घनघोर ।।
घोरा बन उड़त जात है
कछुए सी चाल
नाचत, भूल जात है
फेर पड़त हर बार ।।।
विधि व्यवहार राजा बने
दंभ से बनत लाचार
देख अनदेखा न्यारा लगे
बस चलै आप संसार ।।।।
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स्वरचित सह मौलिक;
✍️ ‘सरल’