सच तुम सुन नहीं सकती ……….
सच तुम सुन नहीं सकती ……….
झूठ मैं कह नहीं सकता ,,
वार्ता का दौर किस तरह आगे बढ़े ………
क्या बीच का रास्ता नहीं निकल सकता
मौन को विश्राम देने की जरुरत ,,,,
तोड़ ख़ामोशी कोई कुछ तो
कहे …
सत्य का पर्याय ढूढे किसी हद तक ,,,,पर विफल हैं प्रयास सारे
झूठ बोला ,व्यंग करके आ गले लग जा हमारे।
भले तुम शान्त दिखती तो लगती अधिक सुन्दर .