सच/झूठ
हमेशा…..
सच के तराजू पर ही
सच तौला जाता है
कितना कम कितना ज्यादा
इस पर फैसला सुनाया जाता है ,
आओ…..
आज हम झूठ तौलते हैं
उस झूठ के अंदर से
कितना कम कितना ज्यादा
बोला गया सारा झूठ निकालते हैं ,
क्योंकि…..
ये कुछ भी देखने से डर जाते हैं
आँखों पर पट्टी जो है बंधी
कितना कम कितना ज्यादा
उतार पट्टी इन सबको दिखाते हैं ,
हमेशा से…..
दिखता वही है जो दूसरे दिखाते हैं
उसमें से जो मतलब का होता है
कितना कम कितना ज्यादा
बस उसी को स्वीकारते हैं
इसीलिए तो…..
झूठ हमेशा तन कर ही चलता है
सच अपने को सच बताने में
कितना कम कितना ज्यादा
गवाहों की गवाही पर पलता है ,
क्या कहें…..
सबको बस बटखरा ही नज़र आता है
बस सामने और ऊपर का देखो
कितना कम कितना ज्यादा
नीचे की छुपी चिप्पी कौन देख पाता है ?
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 30/09/2020 )