सच को छिपा के झूठ का परदा बना दिया
सच को छिपा के झूठ का परदा बना दिया
दो ही पलों में हमको पराया बना दिया
प्यासे रहे हमेशा समन्दर की ही तरह
इन आंसुओं ने और भी खारा बना दिया
अब रात है या दिन हमें कुछ भी पता नहीं
बस प्यार ने हमें तो दिवाना बना दिया
आँगन महक उठा खिले दो फूल प्यार में
किलकारियों ने फिर हमें बच्चा बना दिया
जैसे बना हो रेत का ऐसे मिटा गए
तुमने हमारे दिल को खिलौना बना दिया
यूँ हर क़दम पे मेरे लिए ग़म खड़े मिले
बेवक़्त मुफलिसी ने ही बूढ़ा बना दिया
तुम माँगते तो जान भी दे जाते हम तुम्हें
तुमने खुदाई माँग तमाशा बना दिया
अब और चाहिये नहीं कुछ आपके सिवा
इस ‘अर्चना’ को आपने गहना बना दिया
2015
डॉ अर्चना गुप्ता