सच और हकीकत
किसी और का नहीं
अपना किरदार निभाता हूं
जो दिल में आए मेरे
बस वही बात बताता हूं
जो समझना चाहते हो
तुम वो समझ लेना
मैं इधर उधर की नहीं
बात दिल की बताता हूं
तभी तो कइयों को
मेरा किरदार अखरता है
दिखाकर दागदार चेहरा मेरा
देखो वो खुद को संवारता है
जोड़ना चाहो जोड़ लो
किसी से भी नाम मेरा
भट्टी में तपाओगे जितना
सोना तो उतना निखरता है
छोटी करके दूसरों की
लकीर कुछ नहीं होता
यहां अपनी लकीर को
लंबा करना पड़ता है
मत खींच दूसरों को पीछे,
बढ़ तू भी आगे
तू आज भी क्यों
छोटी छोटी बातों पर लड़ता है
कैसे पाएगा तू
सम्मान युवा पीढ़ी का
जब तू खुद बड़ों का
सम्मान नहीं करता
पाया है उसने ये मुकाम
जीवन भर की मेहनत से
तू क्यों ये बात अब भी
स्वीकार नहीं करता।