सच और झूठ
आवाज़…. मेरे मन की… ?
कैसे कहोगे सच जहां
इज्ज़त ही नहीं दिखती
जहां मोल नहीं मिलता
तारीफ़ नहीं मिलती..
झूठ सिर पर बैठा
सच कॊ कुर्सिया मिलती..
झूठ हँस रहा है
सच की सिसकिया नहीं रुकती
झूठ काँटे बेच लेता है
सच की कलियां नहीं बिकती
ये वो दुनिया है जहाँ
“मासूम” की फ़ितरत नहीं दिखती..
मुदिता रानी “मासूम”