सच्चे रिश्तों की परिभाषा
रिश्ते काग़ज़ के जो होते है
जरा सी हवा से टूट जाते है ।
रिश्ते जो मजबूत वृक्ष जैसे होते है ,
जो आंधियों से भी नही टूटते हैं।
जो अविचल ,निडरता से खड़े रहते हैं,और
जिसकी शीतल छाया में एहसास,
पनाह लेते हैं।
निस्वार्थ प्यार के मीठे फलों से ,
सारे जहां में मिठास बांटते हैं।
एक आदर्श बनते है। वो इंसानियत के लिए,
लोग उसकी कसमें खाने लगते हैं।
अतः रिश्ते वृक्ष जैसे होने चाहिए ,
काग़ज़ के फूलों जैसे नहीं ।
तभी रिश्तों का महत्व है ,
अन्यथा नहीं।