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18 May 2024 · 1 min read

सच्चे रिश्ते

सच्चे रिश्ते है वहाँ, जहाँ नहीं मन भेद।
आपस में मिलजुल सभी , दूर करें मतभेद।।

दोष कभी नहि ढूंढते,अच्छे गुण नित खोज।
सच्चा रिश्ता पालते,हो प्रसन्न हर रोज ।।

मन की शंका दूर कर,निभा रहे संबंध।
खुली किताबों की तरह,रखें नहीं मन बंध।

इक दूजे को चाहते,अपने प्राण समान ।
मन में रखते भाव प्रिय, करते हैं सम्मान ।।

संबंधों की डोर में, अलग अलग व्यवहार।
हँसी खुशी मिलकर जिए,रिश्ते जीवन सार।।

रिश्तों से परिवार है, रिश्तों से ही प्यार ।
रिश्तों से चलता जगत, रिश्ते जीवन सार।

राजेश कौरव सुमित्र

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