सच्ची सहेली – कहानी
सिमरन और आँचल बचपन से ही पक्कम पक्के दोस्त थे | सिमरन एक उच्च वर्गीय परिवार से थी तो दूसरी तरफ आँचल एक गरीब परिवार से थी | सिमरन के परिवार के सभी सदस्य संस्कारित और सुसंस्कृत थे | आँचल का परिवार गरीब तो था किन्तु स्वाभिमानी प्रवृति के साथ जीवन यापन में विश्वास रखता था | आँचल और सिमरन दोनों दसवीं कक्षा में अध्ययनरत हैं | दोनों अपने दिल की बात एक दूसरे से साझा करने में नहीं झिझकते | दोनों ही पढ़ाई को लेकर काफी सजग रहतीं | दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई को लेकर आँचल काफी चिंचित है चूंकि घर वालों ने गरीबी का हवाला देते हुए आगे पढ़ाई न करने का फरमान सुना दिया था |
यह बात काफी दिनों तक आँचल के दिल में घर करती रही | अंत में उसने अपने घर के लोगों द्वारा दिए गए फरमान को अपनी पक्कम पक्की सहेली सिमरन के साथ साझा किया | पहले तो सिमरन ने कहा कि ठीक है मैं अपने माता – पिता से बात करुँगी और हुआ तो तेरी आगे की पढ़ाई का सारा खर्च वे उठा लेंगे किन्तु आँचल इसके लिए सिमरन को सीधे – सीधे मना कर देती है | सिमरन कहती है कोई बात नहीं मैं तुझे एक और रास्ता बताती हूँ | सिमरन ने आँचल को एक रास्ता सुझाया कि यदि वो जिले में प्रथम स्थान से दसवीं पास कर लेती है तो उसे जिला सरकार की ओर से आगे की पढ़ाई को लेकर सारी व्यवस्थाएं की जायेंगी मुफ्त किताबें , यूनिफार्म , साथ ही स्कूटी , हॉस्टल की सुविधा , खाने की सुविधा और मासिक खर्च राशि भी उसे मिलेगी | यह सुन आँचल की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | मानो उसके सपनों को पंख मिल गए हों |
आँचल अपने घर में सिमरन द्वारा सुझाए गए विचार को सभी के साथ साझा करती है | घर के लोगों को इसमें कोई एतराज नहीं | आँचल अपनी पढ़ाई पर और ज्यादा ध्यान देने लगती है | परीक्षा बहुत ही अच्छे से पूरी हो जाती है | परीक्षा परिणाम आँचल के सपनों में चार चाँद लगा देता है | पूरे जिले में आँचल कक्षा दसवीं में पहले स्थान पर आती है | सिमरन कि भी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता वो अपनी सहेली को गले लगा लेती है और उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी देती है | आँचल अपनी पक्कम पक्की सहेली सिमरन का धन्यवाद करती है | सिमरन कहती है कि सहेलियों के बीच धन्यवाद की कोई आवश्यकता नहीं |
अब सिमरन और आँचल आगे की पढ़ाई के लिए शहर के मॉडल स्कूल में प्रवेश ले लेते हैं | ग्यारहवीं भी अच्छे तरीके से पास कर लेते हैं | अब बारी थी बारहवीं बोर्ड परीक्षा की | आँचल को बारहवीं कक्षा में ही कॉलेज की पढ़ाई को लेकर मन में चिंता होने लगती है | किन्तु यहाँ भी सिमरन उसे कॉलेज की पढ़ाई को लेकर आश्वस्त करती है कि इस बार भी यदि तुम पूरे राज्य में प्रथम स्थान पर आ जाती हो तो तुम्हारी कॉलेज की पढ़ाई का जिम्मा सरकार ले लेगी | और साथ ही तुम्हारी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी वे ही कराएँगे | अब आँचल चिंता मुक्त हो अपने पढ़ाई में तन – मन से जुट जाती है और पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने माता – पिता का नाम रोशन करती है | कॉलेज की पढ़ाई के साथ – साथ प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई भी चलती है | स्नातक पास कर लेने के पश्चात वह राज्य सेवा आयोग की परीक्षा में भी अव्वल आती है और साक्षात्कार के पश्चात उसे एस. डी. एम. के पद पर चयनित किया जाता है | परिवार के गरीबी के दिन अब ख़त्म होने वाले थे | परिवार की आर्थिक समस्याओं का अंत होने वाला था |
आँचल अपनी सहेली सिमरन का पग – पग पर मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद करती है | सिमरन भी अपनी सहेली आँचल की तरक्की को लेकर काफी खुश है | सिमरन द्वारा दिखाई गयी राह ने ही आँचल के जीवन को दिशा जो दी थी | आँचल राज्य सरकार का भी शुक्रिया अदा करती है कि उन्होंने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए इस प्रकार की योजनाओं को अंजाम दिया |