सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर, अब मतलब का प्यार है।
मत दिल लगा तू इतना किसी से, देख वह कैसा यार है।।
सच्ची मोहब्बत नहीं अब ———————–।।
माना कि वह खूबसूरत है, और वह करता है प्यार तुमसे।
की है वफ़ा उसने मोहब्बत में, होगा नहीं कभी दूर तुमसे।।
होगी उसकी मजबूरी ही, उसने किया यह इजहार है।
सच्ची मोहब्बत नहीं अब——————–।।
पागल न बन देख झूठी मोहब्बत, कहता हूँ सच तुमसे अपना समझकर।
लगते हैं तुमको जो फूल महके महके, देखें नहीं तुमने उनके नश्तर।।
करते हैं खून वो मासूम दिलों का, झूठी है शान इनकी झूठी बहार है।
सच्ची मोहब्बत नहीं अब ————————।।
देख ख्वाब किसी का तू मत हो बेताब,नहीं होते सपनें कभी भी अपने।
तोड़ देते हैं शीशे की तरहां दिल, बन जाते हैं दुश्मन जो कभी थे अपने।।
क्या निभायेगा तुमसे वह वादा, जिसकी नजर में तू एक इश्तहार है।
सच्ची मोहब्बत नहीं अब——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)