सच्ची मुहोबत कहीं नहीं मिलेगी ?
सच्ची मुहोबत तो एक ख्वाब है ,
बस ख्वाब ही रहेगी ।
आज के मतलब परस्त जहां में ,
बिना गरज के नहीं मिलेगी ।
जो है निर्धन या असफल ,
या सादा दिल नेक इंसान हो ।
उससे तो दूर ही भागेगी ।
मगर जो है दौलत मंद ,कामयाब ,
मक्कार और धूर्त इंसान ।
उसे तो झोली भर भर के मिलेगी।
भले ही कोई कितना भी लायक हो ,
ईमान से ,नियत से साफ हो ,
वोह आजकल मूर्ख कहलाता है ।
मगर जो है बईमान ,नियत से खोटा,
वही समझदार कहलाता हैं।
पत्थर का शहर है जनाब यह ,
शीशे सा दिल वाला कहां बचेगा।
सच्ची मुहोबत की तलाश में
वोह कहां तक दर दर भटकेगा ?
सच्ची मुहोबत किस्से कहानियों के सिवा ,
पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी ।
इंसानी रिश्तों में भी कहीं नहीं मिलेगी ।
किसी भी रिश्ते में नहीं ।