सच्ची दोस्ती का फ़र्ज़ मुझसे अदा किया !
सच्ची दोस्ती का फ़र्ज़ मुझसे अदा किया !
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आज किसी से मुझे हो मुलाकात गई !
फिर धीरे-धीरे खुल मेरी जज़्बात गई !
उसने बताई मुझे ऐसी कई बात नई !
बातों बातों में खुल गए कई राज वहीं !!
हम दोनों में उम्र का थोड़ा फासला था !
पर उसे नहीं इससे कोई भी वास्ता था !
हम दोनों के बीच दोस्ती का जो रास्ता था!
मुझसे शुरू होकर वहीं तक वो जाता था !!
मैंने तो सब कुछ सच – सच उसे बता दिया !
उसने भी सारा अपना हाल मुझे सुना दिया !
मैंने इसके लिए बहुत शुक्रिया उसे अदा किया!
उसने भी नहीं इस दोस्ती से कभी मना किया !!
मैं सोचता था, इस दोस्ती से उसे क्या फ़ायदा !
मैं तो कितने सालों से ही हूॅं एक शादी – शुदा !
पर वो नहीं चाहती थी कि हम हों कभी जुदा !
क्यों इस क़दर वो बिल्कुल ही थी मुझपे फिदा !!
मैंने बड़ी सहजता से सबकुछ ही उसे समझा दिया !
जीवन में आगे बढ़ने के कई गुर उसे सिखला दिया !
दोस्ती के विभिन्न स्वरूप के मायने उसे बतला दिया !
फिर भी नहीं कभी उसने मुझे टाटा,अलविदा किया !
उसने एक सच्ची दोस्ती का फ़र्ज़ मुझसे अदा किया !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 29-08-2021.
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