सच्चा सौंदर्य
सच्चा सौंदर्य
सुन्दर हो चरित्र अति निर्मल।
धोते रहना इसको मल मल।।
कभी न धब्बा लगने देना।
इसका ख्याल हमेशा लेना।।
जो चरित्र की रक्षा करता।
वह दुनिया में अच्छा बनता।।
इसका ख्याल नहीं जो करता।
बिना मौत वह मरता रहता।।
तन की सुंदरता नश्वर है।
प्रिय चरित्र ही शिव ईश्वर है।।
अंतस को जो पावन करता।
वही हमेशा मोहक बनता।।
जिसका उत्तम भाव लुभावन।
वह चरित्र का अनुपम सावन।।
तन पर जो होता है मोहित।
वह मूरख है सदा अशोभित।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।