सच्चा प्रहरी
है गर सच्चा प्रहरी तो आंखें बाज़ सी रखना
उठे जो मैली नज़र सरहद पर तो धार बाज़ सी रखना ।
कण कण इस मिट्टी का है मेरे रक्त से भी कीमती,
हिमगिरी की संभाल स्वर्ण ताज़ सी रखना।
वादा फ़रामोशी की है आदत पुरानी उसकी,
रोकना उसको है तो ललकार शेर और आवाज़ बाज़ सी रखना।
ज़हर फैले ना हवा में नफ़रत भरे संदेशों का ,
सजग रहना उड़ान घुमंतू बाज़ सी रखना
पहल हमने हमेशा की सौहार्द बढ़ाने की
सुख के राग की पहचान तुम भी साज़ सी रखना।
✍©अरुणा डोगरा शर्मा