#रुबाइयाँ – सच्चा इंसान
संभल जाए तूफ़ानों में , वो मामूली इंसान नहीं।
साथ समय के चलता जाए , कहते उसको नादान नहीं।।
ख़ुद से मोहब्बत है जितनी , उतनी औरों से करता जो।
उससे बढ़कर हमने देखा , कोई भी और महान नहीं।।
दोष बताए होश दिलाए , उत्साहित करता पलपल जो।
एक हितैषी मीत वही है , मन रखता निज गंगा-जल जो।।
अहसान नहीं कभी गिनाए , हर संकट में साथ निभाए।
जीत मीत की सदा सुहाए , बनता नैनों का काजल जो।।
विपरीत हवा के चलता वो , जो पिये जुनूँ का प्याला हो।
घोर अँधेरों में भी जिसके , भरा हृदय ओज उजाला हो।।
खारा पानी मृदु जल कर दे , प्यास धरा की बरस बुझाए;
सावन की वो शोभा बनता , जो निश्छल मेघ निराला हो।।
#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना