#कुंडलिया//
अच्छाई मन मोहिनी , बिना किये गुणगान।
कर्म उच्च करते चलो , सदा मिले सम्मान।।
सदा मिले सम्मान , मिले बिन माँगे मोती।
माँगे मिले न भीख , बात यह साबित होती।
सुन प्रीतम की बात , नहीं छिपती सच्चाई।
भारी रहती एक , बुरी सौ पर अच्छाई।
करना रुचिकर काम हर , लगे वही आसान।
बिन रुचि आप अयोग्य हो , चाहे बनो सुजान।।
चाहे बनो सुजान , सदा मुश्क़िल यह लगता।
रहता सदा तनाव , नहीं मुख इससे खिलता।
सुन प्रीतम की बात , मेहनत से मत डरना।
कठिन बने आसान , काम मन से पर करना।
#आर.एस. ‘प्रीतम’