Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2018 · 3 min read

सच्चाई के पक्षधर : डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल

वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल जी के संदर्भ में:

सच्चाई के पक्षधर: डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट

कहने की आवश्यकता नहीं कि 9 अगस्त, सन् 1956 को शामली मुजफफर नगर(उत्तर प्रदेश) के श्री विद्याराम अग्रवाल जी के घर मात श्रीमती लक्ष्मीदेवी जी की कोख से जन्में डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल जी आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। बतौर बैंक कर्मचारी 8 सितम्बर, सन् 1980 को नैनीताल बैंक प्रा.लि. से अपनी सरकारी सेवा का सफर शुरू करके 31 अगस्त 2016 को इसी बैंक की मुजफफरनगर शाखा से बतौर बैंक अधिकारी सेवानिवृत होने वाले डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल जी के व्यक्तित्व का एक अन्य आयाम भी है जिसे पत्र-पत्रिकाओं के नियमित पाठक ही नहीं, बल्कि फेसबुक यूजर भी इनके साहित्यिक व्यक्तित्व के रूप में बहुत अच्छी तरह से जानते और पहचानते हैं।
पत्राचार के माध्यम से डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल के साहित्यिक व्यक्तित्व से मेरा निकट का सम्बंध बहुत पहले से रहा है, किन्तु मेरा यह सौभाग्य रहा कि जनवरी 2014 में झाँसी में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय अधिवेशन में मेरी मुलाक़ात व्यक्तिगत रूप् से इनसे हुई। वहाँ हम तीन दिन इकट्ठे रहे, हमने साहित्यिक चर्चा के साथ-साथ नगर भ्रमण एवं झाँसी की रानी महारानी लक्ष्मीबाई के किले का भ्रमण भी साथ-साथ किया। भिवानी से मेरे साथ डाॅ. मनोज भारत, विकास यशकीर्ति, विनोद आचार्य और महेन्द्रसिंह आदि साहित्यकार मित्र भी थे। हम सभी इनके साहित्यिक व्यक्तित्व के साथ-साथ सामाजिक एवं राष्ट्रीय चिंन्तकरूपी व्यक्तित्व की भी एक गहरी छाप लेकर भिवानी लौटे।
उपरोक्त मुलाक़ात के बाद तो पत्राचार नहीं, बल्कि फोन और फेसबुक पर हम लगातार इनके सम्पर्क में रहे। डाॅ. मनोज भारत जब मेरे व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दृष्टिगत रखते हुए ‘आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति’ नामक आलोचनात्मक गं्रथ लिख रहे थे, तब भी उन्होंने इनसे सम्पर्क किया था और इन्होंने बहुत ही कम और नपे-तुले शब्दों में मेरे व्यक्त्वि एवं कृतित्व पर जो टिप्पणी दी है, उसे न केवल मैंने पसंद किया है, बल्कि विषय विशेष के मर्मज्ञ अध्येताओं ने भी खूब सराहा है। इन्होंने अपनी कुछ ही काव्य पंक्तियों में बहुत कुछ कह दिया है। इनकी पंक्तियां हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से सूर्य भारती प्रकाशन नई सड़क, नई दिल्ली द्वारा मई 2017 में प्रकाशित पुस्तक ‘आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति’ के पृष्ठ…..पर दी गई हैं।
उपरोक्त के लिए इनके आभार सहित, इनके व्यक्तित्व के एक अन्य पहलू पर भी मैं प्रकाश डालना चाहुंगा कि सच्चाई का पक्ष लेना और सच कहना इनके स्वभाव का एक अहम् हिस्सा है। अपने जीवन की गहरी अनुभूतियों को इन्होंने अपनी पुस्तक ‘सच्चाई का परिचय-पत्र’ में व्यंग्यात्म शैली (कविता) में प्रस्तुत किया है, तो इनकी फेसबुक वाल पर विजिट करने वाले फेसबुक यूजर जानते हैं कि शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा, जब डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल जी देश के वर्तमान हालातों पर चिन्ता व चिंतन करते हुए अपनी काव्य पंक्तियों के माध्यम से जनमानस के दिमाग़ पर दस्तक न देते हों।
फेसबुक वाल पर इनकी कोई भी पोस्ट केवल लाईक करने या केवल कोई छोटी-मोटी टिप्पणी करके आगे बढ़ जाने वाली नहीं होती है, बल्कि जनमानस को जगाने और राष्ट्र व समाज को जनहित में अपने दायित्वों के प्रति समय रहते सचेत करने और किसी भी बात पर कोई भी प्रतिक्रिया अथवा टिप्पणी न देने की प्रवृति वाले किसी फेसबुक यूजर को भी टिप्पणी करने के लिए प्रेरित करने वाली होती है।
मुझे पता चला है कि मेरे अग्रज वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. ए. कीर्तिवर्धन अग्रवाल जी के जीवन व कार्यों के मूल्यांकन को किसी पत्रिका द्वारा अपने ‘साहित्यकार मूल्यांकन विशेषांक’ में स्थान दिया जा रहा है। अतः इसके लिए इन्हें व पत्रिका विशेष के सम्पादक/प्रकाशक को हार्दिक शुभकामनाएं! इस विश्वास के साथ कि यह अंक पठनीय ही नहीं, बल्कि संग्रहणीय भी होगा।
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट,
साहित्यमंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भिवानी एवं
अध्यक्ष, आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान सर्वेश सदन,
आनन्द मार्ग, कोंट रोड़ भिवानी-127021(हरियाणा)

Language: Hindi
Tag: लेख
473 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मानता हूँ हम लड़े थे कभी
मानता हूँ हम लड़े थे कभी
gurudeenverma198
DR arun कुमार shastri
DR arun कुमार shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"मानद उपाधि"
Dr. Kishan tandon kranti
खाक पाकिस्तान!
खाक पाकिस्तान!
Saransh Singh 'Priyam'
3150.*पूर्णिका*
3150.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
थाल सजाकर दीप जलाकर रोली तिलक करूँ अभिनंदन ‌।
थाल सजाकर दीप जलाकर रोली तिलक करूँ अभिनंदन ‌।
Neelam Sharma
महादेव
महादेव
C.K. Soni
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
*हमारे ठाठ मत पूछो, पराँठे घर में खाते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
धुनी रमाई है तेरे नाम की
धुनी रमाई है तेरे नाम की
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
हरवंश हृदय
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
Rj Anand Prajapati
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
मिलना था तुमसे,
मिलना था तुमसे,
shambhavi Mishra
माया मोह के दलदल से
माया मोह के दलदल से
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कभी कभी
कभी कभी
Shweta Soni
* भोर समय की *
* भोर समय की *
surenderpal vaidya
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रभु नृसिंह जी
प्रभु नृसिंह जी
Anil chobisa
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
अफ़सोस का एक बीज़ उगाया हमने,
अफ़सोस का एक बीज़ उगाया हमने,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
कवि दीपक बवेजा
माटी में है मां की ममता
माटी में है मां की ममता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
खरगोश
खरगोश
SHAMA PARVEEN
खेल,
खेल,
Buddha Prakash
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
सूरज - चंदा
सूरज - चंदा
Prakash Chandra
Loading...