सच्चाई का मार्ग
सच्चाई का मार्ग भव में
होता बड़ा ही क्लेशप्रद
इस पथ, डगर पे चलना
सबों की बस की वार्ता
न इस अतुल जहां में
कैसो कैसो को यहां
इस पंथ पर चलने में
श्रमसीकर छूट जाती
इस पर अर्थगर्भित तो
हजारों लाखों आएंगी
जो इन पर पाया विजय
उन्हीं को मिलती शिखर ।
सच्चाई का मार्ग सतत ही
होता आया कंटकाकीर्ण
बहुधा मानुष चंद धन हेतु
अपनाते निंद्य, त्याज्य राहें
पर इसी मार्ग पे ही चलते
जो इस उत्कृष्ट खलक में
उसको उसके करतूतों का
लाजिमी ही मिलता फल
निकृष्ट से संग होता मंदा
नायाब के संग तो उमदा
अतः सतत चले जग में
सच्चाई के मार्ग पर यहां ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार