सखी
जिद का जीवन नहीं है अच्छा,
सुन ओ मेरी प्यारी सखी।
गुस्सा अपने हमें जलाता,
सुनले मेरी प्यारी सखी।।
कोई नहीं जीवन में अपने,
खुशियों की है बहुत कमी।
सुन मेरी प्यारी सखी,
सुन मेरी अनमोल सखी।।
जिद का जीवन नहीं है अच्छा,
कैसे कहूं ये बात बड़ी।
मैं तो तड़फ तड़फ के जीता,
तू तो समझ ये बात बड़ी।।
हंसना छीने सुख ये छीने,
छीने चैन और रात बड़ी।
सुन मेरी अरदास सखी,
सुन मेरी ये बात सखी।।
तू तो नारी प्रेम की मूर्त,
तुझ में मेरी हर बात सखी।
तुने पहला कोख में कल को,
क्यों समझे ना बात साखी।।
ललकार भारद्वाज