“सखी री देखो, आई होली”
मोहि मन भावैंं, स्नेह की बोली,
सखी री देखो, आई होली,
गोरी की रंग रेशमी चोली,
लाल कपोल मिठी बोली,
कोयल गान अति प्रिय लागैं,
गली-गली हुड़दंग मचावै टोली,
सखी री देखो, आई होली।1
मन मोहक रंग खिले चहुंंओर,
बरसे गुलाल तन होय विभोर,
सखियन आवैं पिया बखाने,
मोहि निक न लगै ठिठोली,
सखी री देखो, आई होली।2
अंतस जलै मन होय अधीरा,
अंग-अंग में यौवन की क्रीड़ा,
फागुन रंग नाहि बिन पिया सुहाए,
पीछे पड़ैं गांव के हमजोली,
सखी री देखो, आई होली,
मोहि मन भावैं, स्नेह की बोली ।।3
✍वर्षा (एक काव्य संग्रह)/राकेश चौरसिया