सखी री आया फागुन मास
सखी री आया फागुन मास
झूम रहा मधुमास
सुध बुध बिसर गई तन मन की
प्रेम अग्नि गई जाग
झूम रहा मधुमास
मोह पिया मिलन की आस
सखी री आया फागुन मास
वन उपवनम खिल उठे धरा पर
फूल रही फुलवारी
भीनी भीनी चले बसंती
सृष्टि नाच रही सारी
बिखरे हैं रंग सतरंगी
जगी प्रेम की प्यास
सखी री आया फागुन मास
पोर पोर की छटा निराली
रोम-रोम हर साई
नव पल्लव प्रेम रस भीगे
अंतस प्रीत जगाई
थिरक उठा है मन मयूर
जगा रहा उल्लास
सखी री आया फागुन मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी