सखियाँ
***सखियाँ (तोटक छंद)****
112 112 112 112-12 वर्ण
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मिलती पथ में बिछड़ी सखियाँ।
मिलके बहती चहकी अखियाँ।।
खिलती कलियां महकी बगिया।
जगती बुझती रहती लड़ियाँ।।
सहमी सहमी करती बतियां,
धरती पर हैं उतरी परियां।
घर में बुनती रहती दरियाँ,
घुटती मरती मिटती सखियाँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)