Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2024 · 3 min read

*सखावत हुसैन खान का गजल गायन: एक अनुभूति*

सखावत हुसैन खान का गजल गायन: एक अनुभूति
_________________________
3 अक्टूबर 2024 सायंकाल। रामपुर रजा लाइब्रेरी परिसर में रामपुर-सहसवान घराने के वंशज सखावत हुसैन खान के गजल गायन को सुनने का शुभ अवसर मिला। लाइब्रेरी के स्थापना के 250 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम था। हामिद मंजिल की सीढ़ियों के सबसे ऊपर मंच सजा था। सखावत हुसैन खान अपने बाएं हाथ में बाजा (हारमोनियम) थामे हुए थे। उनके दाहिनी ओर तबले पर संगत थी। दो अन्य संगीतकार भी उनका साथ दे रहे थे।

सखावत हुसैन खान ने कहा कि गजलें तो जो लोग लिखते हैं, वह शब्दों में अपने भाव व्यक्त करते हैं। जबकि हम शब्दों को संगीत के सुरों के माध्यम से अभिव्यक्ति देते हैं। बात सही थी। सखावत हुसैन खान ने कई गजलें सुनाई। एक ठुमरी भी सुनाई। सब में उनके सुरों की छटा वातावरण में फैली। सुर लगाना पारिभाषिक दृष्टि से भले ही सब लोग न समझ पाएं लेकिन सुर के आनंद को भला कौन अनुभव न करेगा ? सखावत हुसैन खान के सुर इस गहन साधना से भरे हुए थे कि मानो ईश्वर से वार्तालाप कर रहे थे। जब वह गजल की पंक्तियों को पढ़ते-पढ़ते केवल सुरों की प्रस्तुति में ही डूब जाते थे तब भला कौन श्रोता ध्यानावस्थित न हो जाए । एक-एक शब्द को जीवंतता के साथ वह सुर लगाकर प्रस्तुत करते थे। यह स्थिति संगीत के क्षेत्र में उनकी तपस्या को दर्शाती है।

प्रारंभ में ही एक गीत के माध्यम से उन्होंने कहा:

प्यार नहीं है जिसको सुर से/ वह मूरख इंसान नहीं है/यह एहसान है सात सुरों का/ यह दुनिया वीरान नहीं है

सखावत हुसैन खान को के. के.सिंह मयंक द्वारा लिखित गजलें विशेष प्रिय हैं । प्रमुखता से आपने उनको सुनाया। इनमें मनुष्यता का भाव है और प्रेम है। देश भक्ति की भावना भी इन गजलों में प्रकट हुई है।

एक ग़ज़ल का शेर है:

ए मयंक इस हिंद से, बढ़कर कोई मजहब नहीं/ हिंद पर हर शख्स को, कुर्बान होना चाहिए

रामपुर के शायर अजहर इनायती की भी एक गजल आपने सुनाई :

रोज आती है एक शख्स की याद/ रोज एक फूल तोड़ लाता हूॅं

एक शेर में घूमना शब्द जब आया तो सखावत हुसैन ने उसे इस प्रकार से गाकर सुनाया कि लगा मानो गायन के द्वारा ही ‘घूमने का प्रसंग’ वर्णित कर दिया गया। शेर इस प्रकार है :

बेरुखी के साथ सुनना दर्दे दिल की दास्तां/ और कलाई में तेरा कंगन घुमाना याद है

एक ठुमरी भी आपने सुनाई। यह गीत विधा थी। पंक्तियां छोटी थीं। विषय श्रृंगार के वियोग पक्ष से संबंधित था। इसको भी आपने श्रोताओं के सम्मुख इतनी मार्मिकता से प्रस्तुत किया कि वेदना का भाव गायन में साकार हो उठा । ठुमरी के बोल इस प्रकार थे:

याद पिया की आए/ यह दुख सहा न जाए/ बैरी कोयलिया कूक सुनाए/ मुझ विरहिन का जिया जलाए/ क्या करूं नींद न आए

गजल गायन के साथ ही ठुमरी गाना भी कलाकार की विविधता से भरी प्रतिभा को दर्शाता है। रामपुर में सहसवान घराना रियासत काल से अपनी प्रतिभा की छटा बिखेर रहा है। रामपुर में जन्मे, पले और बड़े हुए सखावत हुसैन खान संगीत की सहसवान घराने की शानदार परंपरा का प्रदर्शन करने में सफल रहे। उन्हें बधाई
————————————-
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
वो सबके साथ आ रही थी
वो सबके साथ आ रही थी
Keshav kishor Kumar
आत्मवंचना
आत्मवंचना
Shyam Sundar Subramanian
हकीकत
हकीकत
P S Dhami
चांदनी रातों में
चांदनी रातों में
Surinder blackpen
हिंदी है पहचान
हिंदी है पहचान
Seema gupta,Alwar
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
डूबता सुरज हूँ मैं
डूबता सुरज हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
manjula chauhan
आग और पानी 🔥🌳
आग और पानी 🔥🌳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
Rituraj shivem verma
बहुत बरस गुज़रने के बाद
बहुत बरस गुज़रने के बाद
शिव प्रताप लोधी
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
जी तो हमारा भी चाहता है ,
जी तो हमारा भी चाहता है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सफल सारथी  अश्व की,
सफल सारथी अश्व की,
sushil sarna
*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
*अद्वितीय गुणगान*
*अद्वितीय गुणगान*
Dushyant Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मुझसे देखी न गई तकलीफ़,
मुझसे देखी न गई तकलीफ़,
पूर्वार्थ
सास बहू..…. एक सोच
सास बहू..…. एक सोच
Neeraj Agarwal
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
Jitendra Chhonkar
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"शमा और परवाना"
Dr. Kishan tandon kranti
■ वक़्त का हर सबक़ एक सौगात।👍
■ वक़्त का हर सबक़ एक सौगात।👍
*प्रणय प्रभात*
देख कर उनको
देख कर उनको
हिमांशु Kulshrestha
अरे ओ हसीना तू
अरे ओ हसीना तू
gurudeenverma198
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...