सक्रियता के दायरे!
शीर्षक – सक्रियता के दायरे!
विधा – कविता
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज.
पिन. 332027
मो. 9001321438
सक्रियता के दायरे
निर्भर है गर्भ पर
पाई हुई दशाओं पर
जिससे मिली ऊर्जा पर।
आवरण में कैद सक्रियता
छल है सगर्भा के जीन का
या पाये हुए जीन का।
सत्य पलता रहा
झूठ चलता रहा
भ्रम के कायदे भी
साथ निभाते रहे
सत्य छूटा,एक तारा टूटा
पड़कर धँसा गड्डा गहरा
बना क्रेटर झील सा
जिसमें सत्य के अलावा
सब फैला विश्वास के साथ।
अब झील सत्य है
क्रेटर एक कहानी है
सत्य स्वरूप परिवर्तित होकर
घटा रहा नई घटना
झूठ के फैलाव हेतु
सहतत्वों के विस्तार हेतु।
बदल रहा स्वरूप सत्य
आदमी झूठ के सौदागर
कवि बन परोसते है
हल्का सा सत्य आभास
बन जाते है विधाता
गढ़कर कविता हर बार
अक्षरों के संसार का
शब्दों के सागर का
बातों के बवंडर का।
भाव का अभाव भी
बड़ा दिखाते हर बार
लक्ष्मी हेतु वाणी से छल।