सकार से नकार तक(प्रवृत्ति)
इंसान. . . .
बरसो से
जिज्ञासु रहा है
उसकी प्रवृत्ति
होती है
सकार से ज्यादा
नकार की ओर
चलने की
भूखे इंसान ने कहा
भगवान् से
कुछ खाने को
दे दो
‘उसने’ उसे
रोटी
खाने को
दे दी
लेकिन
इंसा ने
रोटी से ज्यादा
धुएँ को खाना
पसंद किया
प्यासे इंसान ने
भगवान् से कहा
कुछ पीने को
दे दो
‘उसने’ उसे पीने को
पानी दे दिया
लेकिन. . . .
इंसा ने
पानी से ज्यादा
सुरा को
पसंद किया
अकेले रहते
इंसानों ने
भगवान् से कहा
उन्हें साथ
रहना है
भगवान् ने उन्हें
समाज दे दिया
इंसा ने पूछा
समाज. . .
कैसे चलेगा
‘उसने’ कहा
संस्कृति से
और उसे
संस्कार दे दिए
लेकिन. . .
इंसा ने
संस्कारों से ज्यादा
कुसंस्कारों को
पसंद किया
क्योंकि . . .
इंसान. . . .
बरसो से
जिज्ञासु रहा है
उसकी प्रवृत्ति
होती है
सकार से ज्यादा
नकार की ओर
चलने की
सोनू हंस