” सकारात्मक विचार “
डॉ लक्ष्मण झा””परिमल ”
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…की होइत छैक ….हमरा लोकनि कखनो -कखनो किनको तर्क सं तिलमिला जाइत छी ,अचंभित भ जाइत छी !…. कखनो माथ कुड़ीयबैत इ अन्वेषण करS लगैत छी कि एहन दिव्य व्यक्तिक प्रकाश मलिन किया भ गेलनि ?…. हुनका बुझने त ओ ज्ञानक आलोक पासारि रहल छथि ! किछु प्रेमी लोकनि हुनके तबलाक थाप पर मंत्रमुग्ध भेल आंखि बंद केने अप्पन गरदनि हिलेनाइ प्रारंभ कS देत छथि ! परंच जिनका ताल- मात्रा ,लय आ संगीतक कनिकबो ज्ञान रहित छैन्हि ओ एकाग्रचित भS सुनैत छथि !…… कनिकबो जे सुर सं विचलित भेलहुँ…. त इंगित केनाय सं परहेज नहि करताह ! ओना सब प्राणीक विचारधारा एक सन नहि भ सकैत अछि ! हम जाहि परिवेश छी ,…. जेना हम सबगोटे रहैत छी ,….हमर जे कार्यशैली अछि ओ सब हमर लिखब ,बाजव आ अभिव्यक्ति मे परिलक्षित हैत !….मुदा शालीनता ,शिष्टाचार आ माधुर्यता क आरि सं डगमगा गेलहुं …त हम कतहूँ कें नहि रहब !
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डॉ लक्ष्मण झा””परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत