सकारात्मकता
ना उम्मीदी के गहरे दरिया से निकालना है बहुत आसान
सकारात्मकता का तेल डालकर विचार करो और प्रकाशवान
ये सारी परिस्थितिया तुम्हारी सोच का ही तो है परिणाम
सकारात्मक विचार हों मन में फिर देखो क्या होता आंजाम
क्या कर सकते हो या क्या नहीं सोच के ही सारे बंधन हैं
वरना कोई सीमा है ही नहीं पास तुम्हारे इतने संसाधन हैं
सोच का यदि दायरा बढ़ाओ डर की बेड़ियाँ मन से हटाओ
सब कुछ संभव है इस जीवन में यदि दृढ निश्चय से भर जाओ
जितनी भी परिधि की हैं बेड़ियाँ स्वयं हमने ही तो बांधी हैं
सफलता उसी को मिली सदा जिसने सारी सीमायेँ लांघी है
फिर से नए कैनवास पर स्वयं से बड़े तुम लक्ष्य बनाओ
यदि प्रसन्न नहीं इस जीवन से तो फिर नए सपने सजाओ
हर दिवस एक उत्सव है जो जीवन पर्व मनाओ नित दिन
हर मुश्किल हल हो जाएगी यदि जियो यदि तुम चिंताविहीन
जीवन मैं सदेव प्रसन्न रहने का सबसे सरल है एक उपाय
अपने घर के साथ साथ औरों के जग मैं भी खुशियाँ बिखरायें।