संस्मरण
सास और बहू का अनमोल रिश्ता
संस्मरण
आज सीमा को मैने सुबह ही घर के काम जल्दी जल्दी निपटाते हुये देखा।
तो मुझे आश्चर्य हुआ कि जो औरत रोज आराम से धीरे धीरे घर के काम निपटाती थी।आज अचानक इसको क्या हुआ।
तभी मुझे कुछ उससे बात करने की सूझी।
मैंने बोला कि क्यों सीमा भाभी आपको कहीं जाना है क्या।
तो सीमा बोली नही दीदी मैं आज मेरी माँ बाबूजी घर आ रहे तो फटा फट काम निपटा लूँगी।और फिर सबके लिए खाना भी तो बनाना है ।और फिर मेरे माँ बाबू जी मेरे घर कईं सालो बाद आ रहे है तो मैं बहुत खुश हूँ ।उनके साथ बैठ दो चार बातें भी तो करूँगी न।दीदी।
मेने बोला अच्छी बात। इसी लिए बहुत खुश लग रही हो।
सीमा ने गर्दन हिला कर मुस्कान दे दी मुझे और मैं अपने घर के अंदर आ गयी तभी।
मुझे बाजू घर मे रहने वाली भावना भाभी और उनकी सासु के बीच लड़ाई की आवाज कानो में आई।तो मैं घर से बहार आयी।
और देखा कि भावना को उसका पति लकड़ी लिए हाथो और लातो से कूट रहा है।
और सामने ही उसकी सास भी खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी।
मुझे भावना भाभी की ऐसी दुर्दशा पर बहुत दुःख हो रहा था कि वो अपने पति के हाथों मार खा रही है।और विरोध नही जता रही है।और सास सामने खड़ी होकर बेटे से बहु को मार पड़वा रही थीं।
तभी मुझे ये सब देखा नही गया ।और मैने बोल ही दिया
कि राकेश भैया क्यो भाभी को मार रहे हो उनके करीब जाकर उनके हाथों से लकड़ी छीन लिया और उनका झगड़ा शांत करने की कोशिश की।पर भावना की सास बबिता बाई की जबान तो कैंची की धार के माफिक चलती ही जा रही थी।
तभी मैंने बबिता बाई को बोला काकी कैसे बोल रही हो भावना भाभी भी आप की बेटी जैसे ही है क्यों छोटी सी बात को राई का पहाड़ बना रही हो।
मेने बोला काकी आपकी बेटी निशा को भी ऐसे ही छोटी सी बातों को लेकर आपका दामाद मारने लगे और उसके भी सास ससुर ऐसे ही उसे प्रताड़ित करेंगे तो आपके दिल पर क्या बीतेगी ।कभी आप भी बहु रही होगी काकी
बेटी हर किसी की अपने माँ बाप के कलेजे का टुकड़ा होती है।शादी के बाद अपने माँ बाप का घर छोड़ परायो के घर सबको अपना समझ कर आती है।उसे भी तुम सबके प्यार और सहयोग की जरूरत है।उसे स्नेह से रखो आखिर वही आपके बुढ़ापे में आपकी और आपके बेटे की सेवा करेगी।
तब बबिता बाई और राकेश भैया ने मेरे समझाने पर भावना भाभी को घर के आँगन से अंदर कमरे में ले कर गए और मुझे बबिता बाई ने जाते जाते बोला बेटी सोनू तूने तो आज मेरी आँखें खोल दी।
आज मैं अपनी बहू को बेटी से बढ़कर अच्छे से रखूंगी आज तो तूने मेरी आँखें खोल दी सोनू बेटी पुनः काकी ने बोला।
तब मैंने काकी को बोला जाओ भाभी से प्रेमपूर्वक बात करो।तुम ही तो उसकी माँ हो और एक औरत भी हो ।जो दूसरी औरत की पीड़ा को समझोगी।
फिर में काकी से अच्छा चलती हूँ कहकर अपने घर मे आ गयी। मगर भावना भाभी का रोता चेहरा मेरे आँखों मे घूम रहा था।
लेखिका गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मंदसौर
मोबाइल नंबर 7772931211