संस्मरण
ईविनिंग-क्रूज, गंगा नदी कोलकाता
जीवन अत्यंत कमअवधि वाला बहुमूल्य कालखंड है। जिंदादिल होके सभी के साथ हंसी खुशी जीवन यापन के साथ नये की खोज करना ही जिन्दगी है। कुछ क्षणों का आत्मिक आनंद प्रियजनो के साथ, दृढ़ हावड़ा ब्रिज और अस्त होते सूर्य के मध्य, कोलकाता की गंगा नदी पर क्रूज मे लेने का कार्यक्रम तय हुआ। हम लोग 12/2/2022 को निवास ज्योतिष राय रोड से मिलेनियम पार्क शाम 3’00 बजे पहुंच गए। क्रूज मे प्रवेश 3’45 बजे होना था। समय के सदुपयोग के लिए पार्क मे टहलने निकल पड़े जिसका गेट क्रूज इंट्री पाइंट के बगल मे था। नदी के किनारे साफ-सुथरा सुरुचिपूर्ण सजावट के साथ पार्क जहां बच्चों के लिए आकर्षक झूले भी थे अच्छा लगा, बच्चों ने झूलों का आनन्द लिया। निगाह घड़ी पर ही थी 3’30 होने को था हम लोग इंट्री पाइंट पर पहुंच गये। जहां कुछ फारमेलटीज पूरी की जा रही थी जैसे रजिस्टर मे बुकिंग की जानकारी कितने मेम्बर हैं समय इत्यादि जिसे पूरा करने के बाद हमारी फोटो ली गई। समय हो चुका था, गेट खुला और हम लोग मन मे आनन्द भाव के साथ अपने प्रथम अनुभव के लिए क्रूज की ओर बढ़े।
विशालकाय कोलकाता शहर जो सन 1931 तक अपने देश भारत की राजधानी रह चुका है, गंगा नदी के दोनो छोर पर दूर-दूर तक फैला हुआ है। नदी का इस्तेमाल यातायात के लिए कई माध्यमों से किया जाता है, चूंकि गंगा नदी यहां समुद्र मे मिलती है तो यहां जल मार्ग का प्रयोग बहुतायत मे अच्छी तरह होता है। कोलकाता के पड़ोसी जिले जैसे नाडिया जो मायापुर के इस्कॉन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, सुन्दरबन बर्ल्ड-हेरिटेज प्लेस, 24 परगना गंगासागर धार्मिक तीर्थस्थल ये सभी जल मार्ग से जुड़े है। यहां के निवासी स्थानीय मोहल्लों तक आने जाने के लिए इसी जल मार्ग का इस्तेमाल करते है। जिसके लिए नाव, जेट्टी और क्रूज का प्रयोग होता है।
इवनिंग क्रूज के लिए हम लोग आगे बढ़ रहे थे हर टर्निग पाइंट पर उनके लोग खड़े थे जो हमे किस ओर जाना है बता रहे थे। मन मे उल्लास नये दृश्य जिनको कैमरे मे कैद करने के उत्साह को रोक नही पा रहे थे, जहां तहां रूक-रूक कर फोटो भी ले रहे थे। अंततोगत्वा हम अपने क्रूज की डेक पर पहुंच गये। प्रथम दृष्यता डेक का आगे और पीछे का भाग ओपेन टू स्काई मध्य मे खूबसूरत सजावटी सेड के नीचे सिलसिलेवार टेबल और चेयर किसी पांच सितारा रेस्टोरेंट जैसा लग रहा था। हमे हमारा टेबल बताया गया, ये तय होने के बाद कि कौन कहां बैठेगा हम बैठ गए। मधुर कर्णप्रिय संगीत, अत्यंत साफ-सुथरा माहौल, चारो ओर सलीकेदार हर आयुवर्ग के लोग, स्वच्छ गंगा की निर्मल जलधारा, मंद हवा के झोंकों का एहसास मन को मंत्रमुग्ध कर रहा था।
कुछ ही देर मे क्रूज के चलने का एहसास हुआ साथ ही वेलकम ड्रिंक जो दो तीन वैरायटी का था, भी सर्व किया जाने लगा। नवयुवा अपने को रोक नही पा रहा था, इस मनमोहक दृश्य और वातावरण को अपने प्रिय के साथ मोबाइल कैमरे मे कैद कर लेना चाह रहा था। डेक के हर हिस्से पर अलग-अलग कोण से फोटोग्राफी हो रही थी, लोगों का मन ही नही भर रहा था। बेटे और बहू ने भी खूब फोटो खींचे, बच्चों ने भी खूब इंजाय किया। डेक के परिचारक अपने काम मे लगे हुए थे। वेलकम ड्रिंक के बाद स्नैक्स का सिलसिला शुरू हुआ। ग्रिल्ड चीज सैंडविच, चाय और काफी जो पसंद हो सर्व किया गया। नदी किनारे के दर्शनीय स्थलों मे सबसे पहले हावड़ा रेलवे स्टेशन दिखाई दिया। वैसे तो सड़क मार्ग से इस स्टेशन पर कई बार आना जाना हुआ है पर नदी पर क्रूज मे चलते हुए इसे देखकर मन मे कौतुक कोलाहल कर रहा था। सुदृढ़ सीना ताने खड़ा हावड़ा ब्रिज और इसी के समानांतर नये बने विद्यासागर सेतु की आभा देखते ही बन रही थी।
स्नैक्स एक के बाद एक लगातार सर्व किए जा रहे थे। पनीर टिक्का, वेज सींक कसाब, मिक्स वेज पकौड़ा, नॉनवेज मे फिस फ्राई, चिकन चाप साथ ही बीच-बीच मे चाय काफी और कोल्ड ड्रिंक भी सर्व हो रही थी। क्रूज लगातार चल रहा था। वेल्लोर मठ के दिखते ही आंखो मे चमक आ गई। सूर्य अस्तांचल की ओर बढ़ रहा था, अस्त होते सूर्य की मनोहारी छवि जिसकी परछाई नदी के जल मे स्पष्ट दिखाई दे रही थी। इस मनोरम दृश्य को मोबाइल कैमरे मे कैद करने की होड़ लग गई एक बार फिर से डेक पर फोटो सेशन प्रारम्भ हो गया। शाम ढल चुकी थी। डेक रंग बिरंगी मध्यम रोशनी मे नहा कर और भी सुंदर लगने लगा था। दोनो किनारों पर कोलकाता की झिलमिलाती रोशनी ने समा बांध रक्खा था। हवा मे ठंढ बढने लगी थी, शाल, स्वेटर, टोपे और हुडी के हुड इस्तेमाल मे आ गये चाय काफी की मांग बढ़ी जो पूरी की जा रही थी। दूसरी छोर पर दक्षिणेश्वर मंदिर जहां स्वामी विवेकानंद प्रायः देवी पूजन किया करते थे, दिखाई दिया। इसे भी कैमरे मे लगभग सभी लोगों ने कैद किया।
क्रूज वापस अपने यार्ड की ओर बढ़ रहा था। अंत मे स्वीट डिस ऐप्पल पाई और चाकलेट वेफर आइसक्रीम सर्व की गई। जल यात्रा मनोहारी दृश्य देखते हुए स्नैक्स चाय काफी कोल्ड ड्रिंक खूब चले शायद ही किसी ने घर या बाहर डिनर लिया होगा। शाम को 7’00 बज चुके हैं। यार्ड मे क्रूज लगने ही वाला था। कैप्टन परिचारक एवं शेफ डेक पर आये, मेहमानो से रिव्यू लिया, सेवा और फूड स्टफ्स के बारे मे जानकारी ली।सभी ने प्रशंसा की। यार्ड मे क्रूज लग चुका था। हम लोगों ने फिर दोबारा आने के लिए कहा और बाहर आ गये। सच मे हम मे से किसी ने भी डिनर लेने की बात नही की।
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अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर