Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Oct 2021 · 3 min read

संस्मरण

पारलौकिक शक्तिया
दो-तीन घटनाएं याद आती हैं।
जिनसे हम स्वयं रु-ब-रु हुये हैं।
एक घटना है जब हम उन्नीस -बीस साल के थे।
मम्मी के देहाँत के बाद अंतिम क्रिया की तैयारियां चल रही थी। सारा घर खुला पड़ा था। मैं मम्मी के पास बैठी एकटक निहारे जा रही थी।तभी मेरी नज़र अचानक ऊपर से आती सीढ़ियों पर पड़ी। देखा-एक झकाझक सफेद धोती कुर्ते सिर पर पगड़ी ,श्वेतवर्ण ,रोबीले चेहरा वाला वृद्ध सीढ़ियों से उतर रहा है।उसने मम्मी की तरफ देखा ,हाथ जोड़े और तेजी से सीढ़ियां उतर गया। ‘ये कौन है ?’चाची से पूछा पर उन्हें कोई न दिखा। मुझे महसूस हुआ जैसे किसी ने कहा ‘इस घर की लक्ष्मी जैसी देवी गयी।”मैं तेजी से उठ सीढ़ियों के पास आई और उस व्यक्ति के पीछे चल पड़ी।वह व्यक्ति सीढ़ियों से उतर गैलरी में आया फिर घर के मुख्य द्वार के बाहर होकर घर की बगलवाली गली में चला गया।घर के बगल से शिक्षा विभाग की बगिया थी और दोनों के बगल में लगभग चार फुट चौड़ी कच्ची गली थी। गली में जाकर देखा तो चंद कदमों के बाद ही वह गायब हो गया। मैं आवाज लगाती रही,”कौन हैं आप..रुको तो।” किसी ने मुझे हिलाते हुये टोका कि यहाँ क्या कर रही हो ?हमने कहा .।वो.।वो पर वह देखते ही देखते गायब हो गया। बाद में पापा को बताया तो बोले घर के देवता होंगे जो घर छोड़ गये।उनकी आँखों में आँसू थे ।
मम्मी को गुजरे कुछ ही दिन हुये थे ।पापा शाम का भोजन करने के बाद वापिस दुकान चले जाते थे।दुकान बढ़ाने के बाद 9-10बजे तक घर आ जाते थे। उस दिन पापा ने अपने कमरे में ताला लगाकर चाबी कील पर टाँगते हुये कहा कि दरवाजा मत खोलना।और डरना भी नहीं।इतने बड़े घर में अकेले कभी डर न लगा।पर उस दिन कुछ अजीब सा लगा पर दिमाग झटक बाकी काम निबटाने में लग गयी।अभी आठ बजे के आसपास का ही समय रहा कि अचानक जोर जोर से आवाज आई “खोलो,दरवाजा क्यों बंद है ,खोलो।”मुझे लगा भतीजी शायद पापा के कमरे में सोती रह गयी और पापा को पता न चला।मैं जल्दी से चाबी कील से उतार कमरा खोलने लगी ,तभी पापा की बात ध्यान आ गयी। और मैं काँप गयी।
तभी दरवाजा भड़भड़ाने की भी जोर से आवाज आई। मैं जल्दी से दूसरी मंजिल की सीढ़ियों की तरफ गयी और भाभी को आवाज लगाई।आवाज जैसे गले से निकलने को तैयार न थी। उधर दरवाजा भड़भड़ाना और दबी आवाज में खोलो खोलो बराबर सुनाई पड़ रहा था।पाँच मिनिट में आवाज बंद हो गयी और मैं इतने में ही पसीने से नहा गयी। डर के मारे मेरी घिग्घी बंधी हुई थी और मैं सीढ़ियों पर दीवार से चिपकी बैठी थी।
पापा ने आकर पूछा कुछ हुआ था क्या?हमने बताया तो वह चकित रह गये। बोले आवाज किसकी थी।हमने कहा बच्चे जैसी।उन्होंने ताला खोला चारों तरफ कमरे को गौर से देखा।कहा तो कुछ नहीं पर गँभीर हो गये।आज भी याद आती है घटना तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं।

तीसरी घटना उस समय की है जब मेरे दोनों बच्चे छ:आठ साल के थे। बेटी को सासु माँ यात्रा के लिए साथ ले गयीं महावीर जी। बेटा छः साल का था तो मेरे पास ही था।
एक दोपहर वह सोया हुआ था अचानक उठ कर जोर जोर से रोने.लगा ..मम्मी ,अम्माँ ने दीदी को छोड़ दिया है वो रो रही है ।मम्मी दीदी को बचा लो । किसी भी तरह चुप होने का नाम न ले। फोन कहाँ करती ,मोबाइल भी न था। एक घंटे तक बेटा तड़प तड़प कर रोता रहा। बैचेनी मुझे भी हो रही थी ,पर तब कारण समझ न आया।
रात के आठ बजे के आसपास एसटीडी काल आया ।तब पता लगा कि कुछ सामान खरीदते वक्त सासु माँ को बेटी का ध्यान न रहा और ननद व देवरानी के साथ आगे चली गयी थी। बेटी इधर उधर खोजती रही आवाज लगाती रही।
अच्छी बात यह थी कि जहाँ,सासु माँ और देवरानी ने छोड़ा था वहाँ से वह हटी नहीं। हाँ रोते रोते बेटे को और मुझे पुकार रही.थी।और उसी समय बेटे को अहसास हुआ।
पता नहीं कौनसी शक्ति थी जिसने बेटे को संकेत दिया।शायद भाई बहनों के बीच सशक्त स्नेह की डोर की शक्ति ही थी।
पाखी

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 232 Views

You may also like these posts

"मनुष्य की प्रवृत्ति समय के साथ बदलना शुभ संकेत है कि हम इक्
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
"यहाँ चंद लोगों के लिए लिख रहा हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
सुबह का नमस्कार ,दोपहर का अभिनंदन ,शाम को जयहिंद और शुभरात्र
सुबह का नमस्कार ,दोपहर का अभिनंदन ,शाम को जयहिंद और शुभरात्र
DrLakshman Jha Parimal
दरख़्त
दरख़्त
Dr.Archannaa Mishraa
అమ్మా దుర్గా
అమ్మా దుర్గా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ऐसी दौलत और शोहरत मुझे मुकम्मल हो जाए,
ऐसी दौलत और शोहरत मुझे मुकम्मल हो जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*टूटे दिल को दवा दीजिए*
*टूटे दिल को दवा दीजिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"छछून्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
It All Starts With A SMILE
It All Starts With A SMILE
Natasha Stephen
..
..
*प्रणय*
युद्ध और शांति
युद्ध और शांति
Suryakant Dwivedi
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
तितली भी मैं
तितली भी मैं
Saraswati Bajpai
जिन्दगांणी
जिन्दगांणी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
आर.एस. 'प्रीतम'
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
गुमनाम 'बाबा'
उजले दिन के बाद काली रात आती है
उजले दिन के बाद काली रात आती है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
श्याम जी
श्याम जी
Sukeshini Budhawne
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
sushil sarna
*कहर  है हीरा*
*कहर है हीरा*
Kshma Urmila
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
Ravi Prakash
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
आदमी आदमी के रोआ दे
आदमी आदमी के रोआ दे
आकाश महेशपुरी
प्यार ही ईश्वर है
प्यार ही ईश्वर है
Rambali Mishra
!!भोर का जागरण!!
!!भोर का जागरण!!
जय लगन कुमार हैप्पी
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
फूल से कोमल मन
फूल से कोमल मन
Mahesh Tiwari 'Ayan'
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चोपाई छंद गीत
चोपाई छंद गीत
seema sharma
सून गनेशा
सून गनेशा
Shinde Poonam
Loading...