संस्कृतियों का सार
संस्कृति किसी देश की आन है
शान है अभिमान है
मनुष्य है तो सभ्यता है
जिंदगी का भाग ही संस्कृति है
सभ्यता ही है जीवन पद्धति
सभ्यता और संस्कृति है मानव के धन
यही है मानसिक और भौतिक संतुलन
संस्कृति से ही मिलती है विकासन्नोमुख
संस्कृति ही है हमारा संस्कार
यही है मनुष्य की विकास का आधार
आध्यात्मिक का ज्ञान कराता
सभी जनों को मार्ग प्रशस्त करता
यही विकास का ऐतिहासिक प्रक्रिया
जहां मिलती बुद्धि और अंतरात्मा का विकास
कलाओं का विकास है संस्कृति
मानव सभ्यता का प्रादुर्भाव है संस्कृति
सांस्कृतिक विरासत है हमारी पहचान
यही है धरोहिक का प्रत्याभूत
धार्मिक विश्वास और प्रतीकात्मक
अभिव्यक्ति ही है संस्कृतियों का मौलिक तत्व
आधिभौतिक और भौतिक संस्कृतियों
जहां सामाजिक जीवन प्रभाव के उद्यमीस्थल है
यह हमारी अंतस्थ प्रकृति की अभिव्यक्ति है
जहां है ऐतिहासिक और ज्ञानों का समावेश
हमारी भारत की संस्कृति है सर्वोपरि
जहां अनेकता में एकता का संगम है
वही होती है नन्दिनी की पूजा
जहां सम्प्रदायिक ईश्वर का समागम है