Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

बगावत की आग

फूंक न डाले सिस्टम को
जो आग मेरी ग़ज़ल में है
मानवता का हर क़ातिल
अब भी किसी महल में है…
(१)
पता नहीं इतनी-सी बात
समझ इन्हें कब आएगी
औरत की जगह मर्द के
पैरों में नहीं, बगल में है…
(२)
ऐसे ही नहीं इतनी सुर्ख़ी
आई इसकी पंखुड़ियों में
हमारे पूरे झील का ख़ून
आज इस एक कंवल में है…
(३)
मुहब्बत के कारोबार में
अब उतना फ़ायदा कहां
जितना ज़्यादा मुनाफा
नफ़रत की फ़सल में है…
(४)
पुरानी पीढ़ियों ने हमको
बुरी तरह मायूस किया
थोड़ी-बहुत उम्मीद बची
अब अगली नसल में है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#इंकलाबी #शायर #स्त्रीविमर्श
#FeministPoetry #बगावत
#गीतकार #कवि #हल्लाबोल
#विद्रोही #नारीवाद #क्रांतिकारी
#lyricist #lyrics #bollywood

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अवध से राम जाते हैं,
अवध से राम जाते हैं,
अनूप अम्बर
*अध्याय 5*
*अध्याय 5*
Ravi Prakash
🌹 वधु बनके🌹
🌹 वधु बनके🌹
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Lately, what weighs more to me is being understood. To be se
Lately, what weighs more to me is being understood. To be se
पूर्वार्थ
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
Shubham Pandey (S P)
खुशियों का बीमा
खुशियों का बीमा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ सपनों में आ कर ■
■ सपनों में आ कर ■
*Author प्रणय प्रभात*
उधार  ...
उधार ...
sushil sarna
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
आर.एस. 'प्रीतम'
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
VINOD CHAUHAN
A Donkey and A Lady
A Donkey and A Lady
AJAY AMITABH SUMAN
मां रा सपना
मां रा सपना
Rajdeep Singh Inda
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
Dr Archana Gupta
मैं रचनाकार नहीं हूं
मैं रचनाकार नहीं हूं
Manjhii Masti
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
प्रेमदास वसु सुरेखा
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
Shashi kala vyas
जिंदगी और रेलगाड़ी
जिंदगी और रेलगाड़ी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
स्वप्न श्रृंगार
स्वप्न श्रृंगार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बस मुझे महसूस करे
बस मुझे महसूस करे
Pratibha Pandey
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तुम्हारी निगाहें
तुम्हारी निगाहें
Er. Sanjay Shrivastava
प्रश्नपत्र को पढ़ने से यदि आप को पता चल जाय कि आप को कौन से
प्रश्नपत्र को पढ़ने से यदि आप को पता चल जाय कि आप को कौन से
Sanjay ' शून्य'
Raat gai..
Raat gai..
Vandana maurya
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Sakshi Tripathi
3172.*पूर्णिका*
3172.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...