संस्कारों की नींव
पति पत्नी का परस्पर ,
प्रेम और सौहाद्र का अभाव ।
डालता है उनकी संतानों पर ,
ऐसा दुष्प्रभाव।
परिणामतः उनके मन में भी ,
माता पिता के प्रति होता ,
आदर सम्मान का अभाव ।
और फिर इसी कारण पुत्रियों के,
व्यक्तित्व में ,भी होता पति और ,
ससुराल पक्ष ,के बड़ों के प्रति,
सम्मान का अभाव ।
अतः कन्या ऐसी चुनें अपने पुत्र हेतु ,
जो धनी या रूपवती बेशक न हो ,
मगर संस्कार की निधि उसके पास हो ।
तभी घर का वातावरण होता सुखद हो और
संतत्ति में भी संस्कारों की निधि से भरी हो ।
फिर पीढ़ी दर पीढ़ी कभी न होगा ,
खुशहाली का अभाव ।