संसार है मतलब का
मुश्किल है बहुत साथ खड़ा कोई नहीं है
संसार है मतलब का, सगा कोई नहीं है
बस भूक परिंदो को उधर ले के गई थी
उस जाल में मर्जी से फंसा कोई नहीं है
आओ कि पलट जाए हकीकत की तरफ हम
दुनिया के दिखावों में मज़ा कोई नहीं है
जंजीर है फिरकों की इसे तोड़ भी डालो
हम एक हैं आपस में, जुदा कोई नहीं है
गिरने से ही आती है सदा अक़्ल सभी को
उस्ताद भी ठोकर के बड़ा कोई नहीं है
मग़रूर अगर कोई समझता हैं तो समझे
खुद्दार हैं हम लोग, अना कोई नहीं
नापाक सियासत की सियासत है यह अरशद
इस मुल्क में मर्जी से लड़ा कोई नहीं है