संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
इंद्रियों को वश में करअध्यात्म की खोज में
खुद को झोंक देना भी संन्यासी होने का वास है
जिसने सभी वासनाओं कासामना कर
अपनी ताकत का दुरुपयोग दूसरों के अहित में
ना किया हो वह ही इंसानकहलाने लायक है।
फर्क है इस बात में आप ताकत का प्रयोग इसलिए करना चाहते हैं कि आपकी उच्चता आपको प्राप्त हो। और कोई दूसरा ताकत इसलिए चाहता है ताकि वो दूसरों पर हुकूमत कर। खुद को ताकतवर दिखा सके। संसार भी एक तरह से हमारा परिवार है। जिसका ख्याल हम बिलकुल नहीं कर पाते।