— संसार को क्या होने लगा —
जब भी हाथ में आये
अखबार सुबह का
देख कर मन व्याकुल
हो ही जाता है
पढ़कर खबर आसपास
की दुःख होने लग जाता है
जिस पर करती है लड़की
भरोसा , वो पति ही उसके
जीवन का नासूर बन जाता है
अग्नि को साक्षी मान कर
न जाने क्यूँ कसम
जीने मरने की खा जाता है
चन्द दिनों में ही घर
में सन्नाटा छ जाता है
पत्नी को न जाने किस किस
तरह से प्रताड़ित कर जाता है
न जाने किस जुर्म की सजा
अपनी पति को दे जाता है
किस बात की दुश्मनी
किस बात का घमंड
किस किस बात पर शोर हो जाता है
जीवन शादी के दो चार साल में
सब कुछ जैसे बदल जाता है
किस तरफ जा रहा है
सर पर बाँध के पगड़ी
दुल्हन लेकर आने वाला मानुष
हस्ती खेलती जिंदगी
में जैसे खुद आग लगा जाता है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ