संवेदी
हृदय भाव संवेदना,सबके रहती पास।
करें उपेक्षित जो इसे,जिंदा समझो लाश।।
कभी कभी संवेदना,मन में होती क्षीण ।
दुष्टी पापी भाव में, जिनका हृदय प्रवीण ।।
महा भारत युद्ध कथा,कौन अभिमन्यु साथ।
मरी यहाँ संवेदना ,हृदय रखा सब हाथ।।
घायल पक्षी देखकर,उमड़ा हृदय विचार।
उठा लिया सिद्धार्थ ने,किया बहुत ही प्यार।।
जिसके मन सदभावना,संवेदी व्यवहार।
जग में मिलती सफलता,करता जो उपकार।।
राजेश कौरव सुमित्र