संवेदना
संवेदना
खत्म हो गई अब
युग प्रभाव ।
दूजे के कष्ट
तस्वीरों में खीचते
बना चलन ।
भूखे के लिए
दे नहीं पाते रोटी
व्यस्त समय।
सडकों पर
कराहते घायल
किसे फिकर।
दुर्घटना में
तडपते ही छोड़
भागते लोग।
मानव जाति
संवेदना से हीन
पशु तरह ।
राजेश कौरव सुमित्र