संवेदना
कितना दर्द समाया तुझमे,
कितने दर्द सहे हैं।
आँसु मेरी आँखों से,
सारी रात बहें हैं।।
कैसे कहूँ?
क्या मैं करूँ?
समझ नही अब कुछ आता हैं।
दर्द तेरा जो याद करूँ तो,
दिल मेरा भर आता हैं।।
कैसे तेरे दर्द को बांटे?
कैसे करूँ उपाय?
कैसे तेरे हमदर्द बने हम?
अब तू ही राह दिखाय।।
वेदना मेरी बहुत हैं भारी,
संवेदना कैसे तुझको मैं दिखाऊ?
ललकार भारद्वाज