संवेदना जागृति
अभावों से घिरा एक विपन्न बचपन ,
मौलिक सुविधाविहीन कुपोषित शिशुतन ,
अस्तित्व रक्षा में संघर्षरत अनभिज्ञ किशोर से युवावस्था में पदार्पण ,
शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित जीवन ,
घृणा , तिरस्कार , उपहास झेलता निरीह मन ,
समाज विरुद्ध प्रतिकार प्रेरित भावना ,
स्वार्थी तत्वों के कुत्सित मंतव्यों की कठपुतली बनी कामना ,
कब तक इन भविष्य के कर्णधारों का जीवन अभावों में पलकर नष्ट होता देखा जाएगा ?
क्यों न इन्हें समय रहते जागृति से समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा ?