संविधान
गीत_संविधान
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संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है,
ना करे ज्यादती कभी किसी पर,सबका पालनहारा है।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।।
छ: दिये मूल अधिकार हमें ,ग्यारह कर्तव्य बतलाता है,
नीति निर्देशक तत्व मिले ,जीवन को हसीं बनाता है,
सर्वोच्च न्याय की शक्ति से, दुखियों का तारणहारा।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।।
तीन सौ पिच्यानवें अनुच्छेद बने,बारह परिशिष्ट सजाये
अनुसूची आठ लगें सुन्दर ,उद्देशिका में प्राण बसाये
कहीं लचीला कहीं कठोर,सब देशों से न्यारा है।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।।
प्रारूप दिया बाबा साहेब ने,राजेन्द्र ने की सार सम्भाल,
दो वर्ष, ग्यारह माह, अट्ठारह दिन,ग्यारह अधिवेशन का मचा धमाल,
बन गया समृद्ध जीवन सबका जब से इसको स्वीकारा है।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।।
संशोधन की मार पड़ी,अब कैसे ये सह पायेगा,
लगा वजूद आने खतरे में,कैसे जिन्दा रह पायेगा,
रखें इसे हर हाल में जिन्दा,यही दायित्व हमारा है।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।।
संविधान जान से प्यारा है,जीने का हसीं सहारा है।
ना करे ज्यादती कभी किसी पर,सबका पालनहारा है।।
जय हिन्द ?
✍ शायर देव मेहरानियाँ
अलवर, राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
slmehraniya@gmail.com