संवाद
असत्य का सत्य पर,
हार का जीत पर,
बुराई के अच्छाई पर,
सबल का निर्बल पर,
धनी का निर्धन पर,
हमेशा से , यही संवाद है
तुम कुछ नहीं,,हम ही सबकुछ हैं,
इसी लिये तो हम सब चुप हैं,
तुम तो, हो ही नहीं,, हम सब हैं,
तुम कुछ होते तो कहते,
बिन कहे, क्यों रहते,
असत्य का बोलबाला है,
सत्य अकेला है, नकार देते है सब,
सत्य छुपा है, खोजना पड़ता है,
राह कठिन,, मंजिल दुर्लभ,
कौन पड़ेगा पचड़े में,
असत्य ही ठीक है,
आप्त-वचन ही ठीक है,
किसको मुक्ति की पड़ी है,
तुम ही खोज लो,
हम तो तुम्हीं से परिचित हैं,
कह कर पल्लू झाठ लेते हैं,
वचन है ये,,वो ही जो,
सत्य पर बादल चढ़े हैं,
आच भौर से लेकर बैठे है, बाल्टी,
गाय के नीचे, बिन बछड़ा लगाए,
थन धो कर,,दुग्ध दोहन खातिर,
कहते कहते थक कर उठ लिया,
गऊ माता दूध दें
हे मां तेरा,,बछडा भूखा है,
गऊ माता दूध दे,
भैंस दूध दें
बकरी दूध दे,
व्यंग्य बहुत प्यारा है,
आपःत-वचन और मंत्र उच्चारण पर,
कोई पशु दूध नहीं देता,
यहां लोग फिर भी,,,
पकड़ बैठे हैं,
छोड़ते नहीं,,
अच्छे विचार:-
हौसले बिन,, हार सीखा सकती नहीं,
तूफानों से लड़ना,,
बिन हौसले,, होता नहीं,,संभव.
गिरकर वापिस उठना !