संवाद -कोरोना के साथ
जन:-
कौन है कहाँ से चला, सच कह तेरा भेद ।
कितना निर्मम निर्दयी, होता तुझे न खेद ।।
कोरोना:-
मैं आया हूँ चीन से, लाया हूँ उपहार ।
आओ बाहर सड़क पर, करूँ मैं इंतजार ।।
जन:-
कोरोना सुन ध्यान से, तुझे लिया पहचान ।
अब जल्दी से भागकर, बचा ले तेरी जान ।।
कोरोना:-
देखो गाँव गाँव शहर, फैले मेरे पाँव ।
देखो अब भी सड़क पर, हो रहा काँव काँव ।।
जन:-
देखो हम सब एक जुट, हो लेते संकल्प ।
लड़ेंगे घर में रहकर ,तेरे दिन है अल्प ।।
कोरोना:-
मेरी बहुत तेज पकड़, फैलता हूँ अपार ।
कोई भेदभाव नहीं, नर हो या हो नार ।।
जन:-
तेरा करने सामना, हम है अब तैयार ।
कमर बांध मैदान में, वीर करें ललकार ।।
कोरोना:-
सब समझदार हो गए, कैसे फैले रोग ।
अब चलता हूँ भागकर, दिख नही रहे लोग ।।
जन:-
जीत हुई हैं देश की, झलकती देश भक्ति ।
वीरों का वंदन करूँ, जो खड़े प्रथम पंक्ति ।।
———-जेपीएल