संयोग का पल
संयोग का पल
प्रकृति का चक्र तोड़ दिया,
कोरोना ने उग्र रुप धारण किया ।
बचाव का शंखनाद हो गया,
घर मेंं बंद (लॉकडाउन),एकमात्र
रास्ता लागु किया ।।
लक्षण रेखा ना पार करना हैं,
सबकी रक्षा कर देश को बचाना हैं ।
विद्रोही नियमों की धज्जियां उड़ा कर,
सबका मरण कर रहें ।
कल्याणकारी दिन-रात प्राणों की
रक्षा कर रहें ।।
तालाबंदी सकारात्मक प्रभाव से,
नभ में इंद्रधनुष संप्तरंगी छटा मनमोहक बिखरते ।
पशु-पक्षी, जीव-जन्तु , सभी प्राणी स्वच्छंद विचरण करते ।।
पांचों तत्वं धीरे – धीरे प्रदूषण रहित हो रहें ,
सड़कें स्वच्छ , पंछी चहकने लगें ।
बाईक, मोटर्स से ध्वनि प्रदूषण
थम गया ।।
घरों में रहकर सुप्त गुणों का विकास हो रहा ।
दूरी बनाकर हर कार्य,
असंभव को संभव हो रहा ।।
अपनों के साथ संयोग से पल मिल गया ।
मंदिर- मस्जिद की प्रार्थना ,
घर मेंं ही अपनों के साथ सामुहिक दुआ कराया ।
परिवारिक एकजुटता, सेवाभाव जगाया ।
दूर रहे मांं-पिता को दो मिठे,
बोल का काल कराया ।
कोरोना का घर से ही सबको संक्रमण दिशा – निर्देश दे रहे ।
हम भी घर में रहकर योग, व्यायाम, साहित्य, धार्मिक, मनोरंजन कर रहें ।।
जो सेवा कर रहें सभी का हौंसला बढ़ाना ।
हर पल का सदुपयोग कोरोना बचाव कर घर पर रहोना ।
– राजू गजभिये
हिंदी साहित्य सम्मेलन
बदनावर जि.धार